आपूर्ति की कमी के कारण गेहूं की कीमतें स्थिर; बाजार की निगाहें मौसम और सरकारी नीलामी पर

आपूर्ति की कमी के कारण कल प्रमुख बाजारों में गेहूं की कीमतें स्थिर से लेकर मजबूत बनी रहीं। खरीदारों को बोली बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि विक्रेताओं ने कम दरों पर लेन-देन करने में अनिच्छा दिखाई। भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा गेहूं की नीलामी जारी रखने के बावजूद, सीमित भौतिक उपलब्धता के कारण मिल मालिकों को मौजूदा दरों पर आपूर्ति सुनिश्चित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। गुजरात में नई आवक शुरू हो गई है, लेकिन मात्रा कम बनी हुई है। शाम के कारोबार में सक्रिय खरीद जारी रही, फिर भी मौजूदा मूल्य स्तरों पर खरीद की कठिनाइयाँ जारी रहीं। कल दिल्ली में गेहूं 30-35 रुपये बढ़कर 3125 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा था। बेंगलुरु में गेहूं का कारोबार 3350-3360 प्रति क्विंटल के दायरे में हुआ। हालांकि पिछले साल गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट नहीं देखी गई, लेकिन सरकारी खुले बाजार की बिक्री में उल्लेखनीय कमी के कारण आपूर्ति में कमी स्पष्ट है। 2023-24 में सरकार ने खुले बाजार में 100 लाख टन गेहूं बेचा, जबकि इस साल आवंटन घटाकर सिर्फ 25 लाख टन कर दिया गया है। भारत की वार्षिक गेहूं की मांग 1070 लाख टन होने का अनुमान है। नई फसल की स्थिति अनुकूल नहीं दिखाई दे रही क्योंकि गेहूं की अधिकांश फसल वर्तमान में दाने भरने के चरण में है। लेकिन तापमान में वृद्धि यानि प्रतिकूल मौसम उत्पादन घटाकर 1050 लाख टन कर सकता है। आने वाले दिनों में बाजार की धारणा मौसम के रुझान और सरकारी हस्तक्षेप से प्रभावित होगी। तापमान में वृद्धि हो रही है से कीमतें बढ़ सकती हैं, जबकि बढ़ी हुई सरकारी नीलामी से लाभ में कमी आ सकती है।

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