बारीक चावल में मंदी की गुंजाइश नहीं
हम मानते हैं कि चावल की घरेलू और निर्यात दोनों मांग अनुकूल नहीं होने के कारण बाजार धीरे-धीरे सुस्त हो गया है, लेकिन राइस मिलों और पैकिंग निर्माताओं का कहना है कि इस बार के धान से उत्पादन लागत अधिक हो गई है। इसी कारण 1401 चावल सेला, जो पहले 6900 रुपए था, अब 5600/5700 रुपए प्रति क्विंटल के नीचे बिक रहा है। यह बहुत ही निचले भाव हैं, और आगे इसमें भरपूर लाभ की संभावना है। यही कारण है कि 1509 चावल की ग्राहकी कमजोर होने के बावजूद भी 5250/5300 रुपए से कम में नहीं मिल रहा है। इस बार 1121 धान की आपूर्ति ज्यादा नहीं है, और अब 1718 धान की भी आपूर्ति कम हो रही है। ऐसे में भविष्य में चावल में तेजी की उम्मीद है।