गेहूँ बाजार में कोई बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं, आपूर्ति प्रचुर मात्रा में बनी हुई

पिछले महीने की प्रारंभिक तेजी के बाद, गेहूँ की कीमतें दबाव में आ गई हैं। इसका मुख्य कारण रिकॉर्ड स्तर का उत्पादन और केंद्रीय पूल द्वारा करीब 30 मिलियन मीट्रिक टन की बड़ी खरीद है। इस वजह से बाजार में व्यापारी माल बेचने लगे हैं, जिससे कीमतें नीचे आ गई हैं। पिछले साल, इन दोनों मिल-गुणवत्ता वाले गेहूँ की कीमतें ₹2,870-2,880 प्रति क्विंटल के बीच थीं, जबकि वर्तमान में यह ₹2,810-2,820 प्रति क्विंटल पर हैं। इस दिवाली कीमतें पिछले साल की तुलना में लगभग ₹300 प्रति क्विंटल कम हैं। जनवरी में गेहूँ ₹3,350 प्रति क्विंटल तक पहुँच चुका था, यानी पिछले उच्च स्तर की तुलना में इस दिवाली गेहूँ लगभग ₹550 सस्ता है। हालांकि, आटा, मैदा और सूजी अभी भी उपभोक्ताओं के लिए सस्ता नहीं है। सरकारी और निजी केंद्रीय पूल में पर्याप्त स्टॉक और अच्छी बारिश के चलते दिसंबर तक बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। पिछली फसल में अनुकूल मौसम और अधिक बिजाई के कारण उत्पादन लगभग 115.3 मिलियन मीट्रिक टन हुआ, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 5 मिलियन मीट्रिक टन अधिक है। इसके साथ ही सरकार ने लगभग 29.87 मिलियन मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद की, जिससे इस साल अचानक तेजी की संभावना कम है। हाल ही में विभिन्न राज्यों में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण मौजूदा स्टॉक्स तेजी से निकलने लगे हैं। इसके अलावा, अधिक बारिश के चलते आगामी गेहूँ की फसल भी अधिक होने की संभावना है। घरेलू खपत के लिए आटा, मैदा और सूजी की मांग कम होने से पिछले 8-10 दिनों में कीमतें ₹30-40 प्रति क्विंटल गिरकर ₹2,810-2,830 प्रति क्विंटल पर आ गई हैं। आटा, मैदा और सूजी के भाव भी 50 किलो पर ₹10-20 गिर गए हैं। हाल ही में सरकार ने दो योजनाओं का विस्तार किया है: OMSS के तहत, गेहूँ को टेंडर के माध्यम से ₹2,550 प्रति क्विंटल की रिज़र्व कीमत पर बेचा जाएगा, जैसा कि पिछले साल जुलाई के बाद होता रहा है। दूसरी योजना के तहत लगभग 5 लाख मीट्रिक टन इंडिया ब्रांड आटा (5 किलो पैक) बेचा जाएगा, जिसमें करीब 1 लाख मीट्रिक टन पहले ही भेज दिया गया है। इन योजनाओं के प्रभाव से नई फसल आने तक बड़ी तेजी की उम्मीद खत्म हो गई है। केंद्रीय पूल में अभी भी पर्याप्त गेहूँ स्टॉक मौजूद है, जिसे नई फसल आने तक टेंडर के माध्यम से बेचा जाएगा। इन बिक्री के बावजूद केंद्रीय पूल में कोई विशेष कमी नहीं होगी। भविष्य में कीमतों की दिशा मुख्य रूप से सरकार की बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। वर्तमान में देश में गेहूँ की कोई कमी नहीं है, और छोटे-बड़े व्यापारी जो स्टॉक में रोक रखे थे, वह भी बाजार में बेचने लगे हैं।

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