जीरे की बुवाई में देरी और निर्यात में गिरावट ने घरेलू कीमतें बढ़ाईं

कुछ क्षेत्रों में सामान्य से अधिक तापमान और रूक-रुककर वर्षा होने के कारण इस वर्ष नई जीरे की फसल की बुवाई अभी तक सही ढंग से शुरू नहीं हो पाई है। व्यापार सूत्रों का कहना है कि कीमतें उम्मीद से कम रहने के कारण नई फसल की बुवाई में कमी आने का भी डर है। स्थानीय थोक किराना बाजारों में स्टॉकिस्टों की खरीदारी के चलते जीरे की कीमतों में तेजी आई है। सामान्य जीरा और मशीन-क्लीन किया हुआ जीरा दोनों में ₹200 की बढ़त हुई है और ये क्रमशः ₹20,700-20,900 और ₹21,700-22,300 प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं। कुल मिलाकर हाल ही में इस वस्तु की कीमतों में ₹700-800 की वृद्धि हुई है। व्यापारियों का मानना है कि यदि मुख्य उत्पादन राज्यों में मौसम जल्द अनुकूल नहीं हुआ, तो कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। उज्जा मंडी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, किसानों और स्टॉकिस्टों की लगातार बिक्री के चलते बाजार में जीरे की आवक हाल के दिनों में उच्च बनी हुई है। रिपोर्ट के समय लगभग 15,000 बैग पहुंचे थे, जिनकी कीमत 20 किग्रा पर ₹40-55 बढ़ गई। स्पाइस बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल-जुलाई में भारत ने 18,71,79 टन जीरा ₹78.278 करोड़ में निर्यात किया। पिछले वर्ष इसी अवधि में 97,168 टन जीरा निर्यात किया गया था, जिससे ₹2,652.46 करोड़ की आमदनी हुई थी। यह निर्यात मात्रा में 19 प्रतिशत और आय में 29 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है।

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