चावल - और घटने की गुंजाइश नहीं
गत 20-22 दिनों के अंतराल घरेलू एवं निर्यात दोनों ही मांग पूरी तरह से ठंडी पड़ जाने से चावल में एक बार मंदे का दलदल बन गया था। अब नीचे वाले भाव में एक बार फिर निर्यातकों की पूछ परख आने लगी है, जिससे मंदे को विराम लग गया है। वास्तविकता यह है कि वर्तमान भाव के धान को खरीद करके मीलिंग करने पर 1509 सेला 6750 रुपए राइस मिलों में पड़ रहा है, जबकि मिलों को 6550 रुपए में बेचना पड़ रहा है। बाजार में भी इसके भाव 6600 से ऊपर नहीं है, इन परिस्थितियों में अब और घटने की गुंजाइश नहीं है तथा वर्तमान भाव पर एक बार माल खरीदना चाहिए। उधर गैर बासमती चावल में राशन वाले माल मंडियों में वापस आकर बिक रहे हैं, जिससे अभी उसमें तेजी नहीं लग रही है।