हल्दी में गिरावट की संभावना

भारत में हल्दी का रकबा इस समय 30-35% तक बढ़ सकता है, जिसके कारण इसकी कीमतों पर दबाव पड़ा है। इसके साथ ही, मौसम की स्थिति भी कुल पैदावार को अनुमान से अधिक प्रभावित कर सकती है। विदर्भ क्षेत्र और तेलंगाना जैसे प्रमुख हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में हाल ही में 20 मिमी और 18 मिमी बारिश हुई है, जिससे हल्दी की फसल का विकास अच्छे स्तर पर हो सकता है। इरोड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में हल्दी की बुवाई में वृद्धि देखी गई है, जिससे देश में हल्दी का रकबा 3.75-4 लाख हेक्टेयर तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 3.25 लाख हेक्टेयर था। आगामी सत्र में हल्दी का उत्पादन बढ़कर 70-75 लाख बैग तक पहुँचने की उम्मीद है। हालांकि, बकाया स्टॉक शून्य होने का अनुमान है, जिससे वित्त वर्ष 2025 में हल्दी की उपलब्धता में कमी आ सकती है, जबकि खपत में वृद्धि हो सकती है। हल्दी का रकबा बढ़ने और मौसम के अनुकूल होने से उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन बकाया स्टॉक की कमी और बढ़ती खपत की वजह से अगले वित्तीय वर्ष में इसकी उपलब्धता में कमी हो सकती है। इसलिए, इस समय हल्दी के बाजार में गिरावट की संभावना है, लेकिन भविष्य में इसके मूल्य में सुधार हो सकता है।

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