बारीक चावल � जड़ में मंदा नहीं

चावल की घरेलू और निर्यात दोनों ही मांग फिलहाल अनुकूल नहीं है, जिससे बाजार धीमा हुआ है, लेकिन राइस मिलों और पैकिंग निर्माताओं का कहना है कि इस बार धान की उत्पादन लागत बढ़ गई है, जिसके कारण 1401 चावल का भाव, जो पहले ₹6900 प्रति क्विंटल था, अब ₹6200-6300 प्रति क्विंटल तक गिर गया है। यह मूल्य "फ्री" जैसा है, और भविष्य में इसमें लाभ की संभावना जताई जा रही है। इसी कारण, 1509 चावल की ग्राहकी कमजोर होने के बावजूद, यह ₹5600-5700 से कम में नहीं मिल रहा है। धान 1121 और 1718 की आपूर्ति भी इस बार कम रही है, और केवल ग्राहकी की कमी है। इसलिए, चावल के बाजार में मंदी की स्थिति नहीं है। इस समय, हरियाणा और पंजाब में खरीफ सीजन के बारीक धान की आवक पिछले दो-तीन दिनों में बढ़ी है, जिससे भाव थोड़े नीचे चल रहे हैं। हालांकि, धान की आवक अभी उस दर से नहीं हो रही है, जैसी होनी चाहिए थी, जिससे राइस मिलों को मिलिंग महंगी पड़ रही है। यह संकेत है कि बारीक चावल के भाव आने वाले समय में बढ़ सकते हैं। दो महीने पहले बासमती प्रजाति के चावल पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटा दी गई थी, जिससे निर्यात में अब पहले से ज्यादा समर्थन मिल रहा है। हरियाणा की मंडियों में 1509 धान का भाव दो दिनों में ₹3000-3050 प्रति क्विंटल रह गया है, जबकि पंजाब की मंडियों में यह ₹3050-3100 प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। नरेला और नजफगढ़ मंडी में भी धान की आवक दो लाख बोरी है। खरीफ सीजन के धान के दबाव के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल के ऊंचे भाव को देखते हुए, यह संभावना है कि बाजार में और गिरावट आ सकती है। इस समय, राइस मिलों और चावल के कारोबारियों के लिए वर्तमान भाव के स्टॉक लाभकारी साबित हो सकते हैं।

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