मिलर्स की मांग से सरसों के दाम में ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं

उत्पादकों एवं व्यापारियों-स्टॉकिस्टों की सीमित बिकवाली तथा तेल मिलों की अच्छी मांग को देखते हुए सरसों की कीमतों में आगामी समय के दौरान ज्यादा गिरावट आने की संभावना नहीं है। किसानों एवं व्यापारियों तथा मिलर्स के पास सीमित मात्रा में सरसों का स्टॉक बचा हुआ है लेकिन नैफेड एवं हैफेड जैसी सरकारी एजेंसियों के पास अच्छी मात्रा में स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद 5650 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई थी। सरकारी एजेंसी नियमित रूप से अपने स्टॉक की बिक्री करती रही है और आगे भी इसका सिलसिला जारी रख सकती है। सरसों की बिजाई गत वर्ष से पिछड़ रही है जिसके मनोवैज्ञानिक असर इसके बाजार भाव पर पड़ने की संभावना है। ऊंचे तापमान एवं खेतों में नमी के अभाव से फसल की बिजाई एवं प्रगति प्रभावित हो सकती है। फिलहाल उत्पादन के बारे में कोई निश्चित अनुमान लगाना तो मुश्किल है लेकिन यदि मौसम एवं क्षेत्रफल में सुधार नहीं आया तो पैदावार पिछले सीजन की तुलना में घट सकती है। सरसों की अगैती बिजाई वाली फसल के नए माल की आवक फरवरी में शुरू हो जाएगी जबकि मार्च तथा अप्रैल को इसकी आपूर्ति का पीक महीना माना जाता है। नई फसल के आने तक सरसों का भाव सीमित उतार-चढ़ाव के साथ एक निश्चित सीमा में स्थिर रह सकता है। कुछ क्षेत्रों में बिजाई अभी जारी है। क्षेत्रफल का अंतिम आंकड़ा सामने आने तथा मौसम का परिदृश्य परखने के बाद ही उत्पादन का अनुमान लगाना संभव हो सकता है।

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