सरसों बाजार रिपोर्ट
पिछले सप्ताह के दौरान सरसों में मांग की कमी और मीलों की कमजोर डिमांड के चलते सरसों के भाव में ₹200 प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मंदी और कमजोर मांग के कारण सरसों की कीमतों में यह गिरावट आई। हालांकि, निचले स्तरों पर सरसों खल की मांग में सुधार देखा गया, जिससे सरसों में कुछ रिकवरी देखने को मिली। खल के निर्यात में कुछ बड़े सौदों की वजह से इसकी मांग में भी बढ़ोतरी हुई, जिसके चलते खल की कीमतों में ₹30-35 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई। वहीं, अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार में गिरावट के कारण कच्ची घानी के दाम में ₹2-3 प्रति किलो की कमी आई। सोया के साथ अंतर बढ़ने के कारण सरसों तेल की मांग भी कमजोर पड़ी है। कुछ बड़ी मिलें भाव तोड़कर सरसों तेल खरीद रही हैं, जिससे बाजार में सेंटीमेंट कमजोर हुआ है। इसके अलावा, इस बार सरसों की बुवाई प्रारंभिक खराब मौसम के कारण कुछ पिछड़ गई है। अगैती फसलों का विकास ठीक से नहीं हो पाया है, जबकि देरी से बोई गई फसलों की स्थिति बेहतर बताई जा रही है। जनवरी माह में मौसम के प्रभाव से फसल की यील्ड की स्थिति का सही आंकलन किया जा सकेगा। दिसंबर और जनवरी में क्रशिंग कमजोर रहने का अनुमान है, जिससे सरसों का मौजूदा स्टॉक पर्याप्त रहेगा। दिवाली के बाद से पिछले कुछ वर्षों में सरसों की कीमतों में मंदी देखी गई है। हालांकि, मार्च से अप्रैल के बीच सरसों का बॉटम बनता है, और इसके बाद कीमतों में तेजी देखी जा सकती है। जयपुर में सरसों का समर्थन स्तर ₹6275 के आस-पास है, जिससे अस्थायी रिकवरी की संभावना है। लेकिन जैसे-जैसे कटाई का समय निकट आएगा, इसके भाव ₹6000 तक गिर सकते हैं। सीज़न का बॉटम अनुमानित करना अभी मुश्किल है, लेकिन उत्पादन में कमी और पिछले वर्षों की बाजार चाल को देखते हुए ₹5800-6000 के बीच बॉटम बनने की संभावना है।