घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी, सरकारी बिक्री योजना और सीमित स्टॉक से बनी स्थिति
घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है। पिछले सप्ताह गेहूं की कीमत 8% से अधिक बढ़कर 3200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। गेहूं की आपूर्ति मंडियों में कम होने और मिलर्स तथा प्रोसेसर्स की उच्च मांग के कारण यह वृद्धि हो रही है। सरकार ओपन मार्केट सेलिंग स्कीम (OMS) के तहत मिलर्स को अपने गेहूं के स्टॉक से बिक्री कर रही है, लेकिन इस गेहूं की मात्रा सीमित होने के कारण मिलर्स को खुले बाजार से भी गेहूं की भारी खरीदारी करनी पड़ रही है। मंडियों में गेहूं की आवक कम होने के कारण खरीदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, जिससे गेहूं की कीमतों में मजबूती बनी हुई है। सरकारी गेहूं की खरीद न्यूनतम आरक्षित मूल्य से 600 रुपये प्रति क्विंटल तक अधिक कीमत पर हो रही है, जिससे बाजार पर सकारात्मक असर पड़ रहा है। उत्पादकों और व्यापारियों के पास गेहूं का पर्याप्त स्टॉक नहीं है, और वर्तमान में गेहूं की कीमतें मार्केटिंग सीजन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। हालांकि, मुनाफा वसूली के चलते इस सप्ताह गेहूं की कीमतों में थोड़ी गिरावट देखी गई है। भारत सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से साप्ताहिक नीलामी में 1 लाख टन गेहूं की बिक्री का प्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसमें 98-99% गेहूं की खरीद हो रही है। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा गेहूं की बिक्री में वृद्धि की जा सकती है, ताकि कीमतों में कमी लाई जा सके। इस वर्ष किसानों ने गेहूं की खेती के लिए अधिक रकबा लगाया है, और मौसम की स्थिति भी अनुकूल रही है, जिससे अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है। इस कारण मिलिंग और प्रोसेसिंग उद्योग को सरकारी गेहूं की बिक्री में वृद्धि की उम्मीद है। सरकार ने ओएमएसएस के तहत 31 मार्च 2025 तक 25 लाख टन गेहूं का स्टॉक आवंटित किया है, लेकिन सरकार के पास गेहूं का सीमित स्टॉक उपलब्ध है। ऐसे में गेहूं की कीमतों में अधिक गिरावट की संभावना कम है, और नई फसल की आवक तक कीमतें ऊंची बनी रहने की उम्मीद है।