सरसों और सरसों तेल के दामों में बढ़ोतरी की संभावना
सरसों की बुआई में कमी और हाल के दिनों में मंडियों में आवक में अत्यधिक गिरावट के कारण सरसों के भाव पिछले कुछ समय से स्थिर और मजबूत बने हुए हैं। आने वाले दिनों में भी सरसों की आवक में और गिरावट आने की संभावना है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, रबी सीजन में प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुआई का रकबा पिछले साल के 93.73 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 88.50 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि तिलहन फसलों का कुल रकबा भी 101.64 लाख हेक्टेयर से घटकर 96.74 लाख हेक्टेयर हो गया है। सरसों की बुआई लगभग सभी राज्यों में पूरी हो चुकी है, और अब मंडियों में सरसों की औसत आवक 2 लाख बोरी (50 किलो प्रति बोरी) से भी कम हो गई है। किसानों, स्टॉकिस्टों और मिलर्स के पास सरसों का स्टॉक बहुत कम बचा है, जबकि सरकारी एजेंसियों के पास करीब 10 लाख टन का स्टॉक उपलब्ध है। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी गई 20 लाख टन सरसों में से आधा भाग बिक चुका है, और बाकी सरसों को बेचने का प्रयास सरकार जारी रखे हुए है। सरसों की पैदावार का अनुमान साल 2023-24 सीजन के लिए 121 लाख टन से घटाकर 115 लाख टन कर दिया गया है। सामान्यत: फरवरी से सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो जाती है, और मार्च से मई तक इसकी सप्लाई में तेजी आती है। केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2023-24 सीजन के लिए 5650 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। हालांकि, किसानों का सरसों की खेती से मोहभंग होने के कारण बुआई का रकबा घटा है। अगर सरसों और इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों पर वायदा व्यापार पर लगी पाबंदी हटाई जाती है, तो दामों में और तेजी देखने को मिल सकती है। आने वाले दिनों में शादी और अन्य मांगलिक आयोजनों के सीजन के दौरान सरसों तेल की डिमांड और खपत में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि सर्दी के मौसम में घरों में सरसों तेल का उपयोग आमतौर पर बढ़ जाता है।