दलहन बाज़ार रिपोर्ट
चना रिपोर्ट: पिछले सप्ताह की शुरुआत सोमवार को दिल्ली राजस्थान जयपुर में चना 6675/6700 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला था और शनिवार शाम 6600/25 रुपये पर बंद हुआ। इस दौरान चना दाल और बेसन की मांग कमजोर रहने के कारण चना की कीमतों में ₹75 की गिरावट आई। पिछले चार-पाँच सप्ताह से चना के दाम में कमजोरी का रुख देखा जा रहा है। चना दाल और बेसन में मांग कम होने के कारण चना के दाम पर दबाव देखा गया। सस्ते ऑस्ट्रेलियाई चने और मटर के बेलगाम आयात के कारण भी कीमतों में गिरावट आई। कर्नाटक में नए चने की आवक शुरू हो चुकी है और धीरे-धीरे यह बढ़ेगी, लेकिन इस साल चने की फसल लगभग 10% कम रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में अगले 15-20 दिनों में नए चने की आवक शुरू होगी, जबकि विदर्भ में फरवरी अंत तक आवक बढ़ेगी। ऑस्ट्रेलिया से लगातार चना भारत पहुँच रहा है और अनुमान है कि मार्च अंत तक 8-10 लाख टन चना आयात हो सकता है। चना दाल की कमजोर मांग, अच्छे ऑस्ट्रेलियाई आयात, मटर आयात और नए घरेलू फसल के आने को देखते हुए चना में व्यापार को आवश्यकता अनुसार ही करना बेहतर रहेगा। काबली कंटेनर रिपोर्ट: पिछले सप्ताह की शुरुआत में इंदौर नया काबली कंटेनर 14300 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम यह 13900 रुपये पर बंद हुआ। काबली कंटेनर में मांग की कमी के कारण ₹400 की गिरावट दर्ज की गई। इंदौर में काबली कंटेनर (42-44) की कीमतों में ₹1000 की गिरावट हुई। काबुली चने का निर्यात सीमित है, लेकिन भारतीय काबुली चने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में आकर्षक हैं। घरेलू मांग की पूर्ति के लिए पर्याप्त सप्लाई उपलब्ध है, हालांकि अगले महीने रमजान की मांग बढ़ सकती है। जानकारों के अनुसार इस वर्ष निमाड़ क्षेत्र में काबुली की बुआई कम हुई है, लेकिन मौसम फसल के लिए अनुकूल है। काबुली चने का ट्रेंड तकनीकी दृष्टिकोण से कमजोर है और सप्ताह के दौरान इसकी कीमतों में 3000 रुपये तक की गिरावट आई है। काबुली चने की कीमतों में गिरावट दर्शाती है कि बाजार में ग्राहकी की कमी है। हालांकि रमजान के दौरान घरेलू और निर्यात मांग में वृद्धि हो सकती है, लेकिन अभी तक व्यापार कमजोर ही है। जब तक कोई अच्छा खरीदारी संकेत नहीं मिलते, तब तक सीमित व्यापार करना बेहतर होगा। मसूर रिपोर्ट: पिछले सप्ताह की शुरुआत में कटनी मसूर 6600/25 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम यह उसी स्तर पर बंद हुआ। बीते सप्ताह मसूर और मसूर दाल में सीमित मांग के कारण मिला-जुला रुख देखा गया। देशी मसूर की कमजोर आवक ने भाव को सपोर्ट दिया। मसूर की बुआई लगभग 2% कमजोर होने की रिपोर्ट है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार मध्य प्रदेश में मसूर की बुआई में 10-15% तक की कमी हो सकती है। सरकार के पास मसूर का बफर स्टॉक है, लेकिन फिलहाल इसकी मात्रा कम है। मसूर के कमजोर स्टॉक और आयातित मसूर की सीमित बिकवाली से मांग बनी हुई है। कटनी मसूर पिछले 3-4 महीनों से 6600-6800 रुपये की रेंज में व्यापार कर रहा है। शॉर्ट टर्म (2-4 सप्ताह) में बड़ी तेजी या मंदी की संभावना कम है। मध्य प्रदेश में मसूर की यील्ड पर भविष्य काफी निर्भर करेगा। यदि मसूर में तेजी आती है तो सरकार के पास पर्याप्त स्टॉक है जिससे कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है। तुवर रिपोर्ट: पिछले सप्ताह की शुरुआत में अकोला तुवर नई मारूति 7700/7800 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम वहीँ बंद हुआ। तुवर दाल में सीमित मांग के कारण सप्ताह के दौरान ₹200-400 रुपये की गिरावट देखी गई। चेन्नई में लेमन तुवर की कीमत में ₹300 की गिरावट आई। अफ्रीका तुवर में बेहतर मांग के कारण मजबूती देखी गई। कर्नाटका में नए तुवर की गुणवत्ता औसत होने के कारण तुवर दाल फटका कम बन रहा है, जिससे मिलर्स उच्च गुणवत्ता वाले तुवर को अधिक कीमतों में ले रहे हैं। कर्नाटका के किसान कम कीमतों पर तुवर बेचने में इच्छुक नहीं हैं। कर्नाटका में तुवर MSP पर खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है और जल्द ही खरीदी शुरू होगी जिससे कीमतों को सपोर्ट मिल सकता है। हमारा मानना है कि विदर्भ और मराठवाड़ा में नए तुवर की आपूर्ति बढ़ेगी और कर्नाटका के मिलर्स को इसमें मांग रहेगी। तुवर का साल भर का सप्लाई पर्याप्त रहेगा, इसलिए स्टॉक करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। मूंग रिपोर्ट: पिछले सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली बेस्ट मूंग राज लाइन 7200/8000 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम यह 7900/8025 रुपये पर बंद हुआ। मूंग में मांग बनी रही और सप्ताह के दौरान ₹25 की मजबूती दर्ज हुई। मूंग के दाम में 3 सप्ताह की तेजी के बाद थोड़ी सी सीमित ग्राहकी देखी गई। प्राइवेट में मूंग का स्टॉक सीमित है और अगली बड़ी फसल मई में आने की उम्मीद है। महाराष्ट्र, कर्नाटका और राजस्थान में किसानों ने तेजी से मूंग बेचा। सरकार के पास भी बफर स्टॉक में मूंग की कमी है, जिसके कारण पिछले 4 सप्ताह में मूंग की कीमत ₹800-1000 रुपये तक बढ़ी। मूंग की अगली बड़ी फसल गर्मी में आने की संभावना है और अगले 2 महीनों में इसकी कीमत ग्राहकी के अनुसार मजबूत रह सकती है। उड़द रिपोर्ट: पिछले सप्ताह की शुरुआत में चेन्नई एसक्यू 8275 रुपये पर खुला था और शनिवार शाम यह 8200 रुपये पर बंद हुआ। उड़द में मांग न होने के कारण ₹75 की गिरावट आई और लगातार चौथे सप्ताह इसकी कीमतों में कमजोरी का रुझान रहा। बर्मा से लगातार बिकवाली के कारण ग्राहकी पर असर पड़ा है। देशी उड़द की उपलब्धता आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में होने के कारण भी मांग पर दबाव है। उड़द में सस्ता फॉरवर्ड व्यापार कम होने से कीमतों पर असर पड़ा है। फिलहाल चेन्नई उड़द में ₹8200 का मजबूत सपोर्ट है और ₹8050 पर अगला सपोर्ट देखा जा सकता है। जबकि तेजी के लिए ₹8800 के ऊपर निकलना जरूरी है। हमारा मानना है कि उड़द में स्थिरता आने तक, आवश्यकता अनुसार ही कारोबार करना बेहतर रहेगा।