गेहूं की सरकारी खरीद में 92% की बढ़ोतरी, किसानों को मिल रहा फायदा

इस साल भारत में गेहूं की सरकारी खरीद ने जोरदार रफ्तार पकड़ी है। 16 अप्रैल 2025 तक सरकार ने 83.58 लाख टन गेहूं खरीदा, जो पिछले साल की तुलना में 92.3% ज्यादा है। ये बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि खरीद जल्दी शुरू हुई और सरकार ने राज्यों को अच्छा सहयोग दिया। मध्य प्रदेश सबसे आगे सबसे ज्यादा गेहूं मध्य प्रदेश से खरीदा गया � कुल 40.08 लाख टन। वहां राज्य सरकार ने MSP (₹2,425 प्रति क्विंटल) के अलावा किसानों को ₹175 प्रति क्विंटल का बोनस दिया, जिससे किसान सरकारी खरीद में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। अन्य राज्यों का भी अच्छा प्रदर्शन हरियाणा में खरीद 67% बढ़कर 29.89 लाख टन हो गई। राजस्थान में गुणवत्ता नियमों में थोड़ी ढील दी गई (20% सिकुड़े दानों की अनुमति), जिससे 4.8 लाख टन गेहूं खरीदा गया। पंजाब ने भी बैसाखी के बाद तेजी पकड़ते हुए 5.29 लाख टन गेहूं खरीदा, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा सिर्फ 74 हजार टन था। उत्तर प्रदेश में भी गेहूं की खरीद जारी है। सरकार इस बार 312.7 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य लेकर चल रही है। उम्मीद है कि मई की शुरुआत तक 280 से 290 लाख टन तक गेहूं खरीद लिया जाएगा। यह पिछले तीन सालों की कमज़ोर खरीद के बाद एक बड़ी वापसी होगी। इस बार देश में गेहूं का उत्पादन भी अच्छा रहने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि उत्पादन 115 मिलियन टन से ज्यादा होगा, जिससे देश में गेहूं की कमी नहीं होगी और महंगाई भी काबू में रहेगी। हालांकि खरीद अच्छी हो रही है, फिर भी कुछ किसानों ने शिकायत की है कि उन्हें सही दाम नहीं मिल रहा या उन्हें मजबूरी में सस्ता गेहूं बेचना पड़ रहा है। साथ ही, निजी व्यापारी अभी ज्यादा गेहूं नहीं खरीद रहे, जिससे किसानों को पूरी तरह सरकार पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इस साल गेहूं की खरीद अच्छी चल रही है, जिससे किसानों को राहत मिल रही है और देश को फिर से गेहूं के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा है। अगर इसी तरह उत्पादन और खरीद दोनों मजबूत रहे, तो आने वाले समय में खाने-पीने की चीजों की कीमतें भी काबू में रहेंगी।

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