चावल-गेहूं का भंडार बफर से अधिक, गर्मी की फसल की बुआई में भी बढ़ोतरी
देश में इस समय चावल और गेहूं का भंडार निर्धारित बफर मानकों से कहीं अधिक है। साथ ही, चालू गर्मी सीजन में फसलों की बुआई में भी पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्ली में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों से चना, मसूर, उड़द और अरहर जैसी दालों की खरीद की प्रक्रिया को तेज किया जाए। बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि धान, दलहन, मोटे अनाज (श्री अन्न) और तिलहन की बुआई में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। गर्मी के इस सीजन में 2 मई 2025 तक धान की बुआई में 3.44 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2023-24 में 28.57 लाख हेक्टेयर थी और अब बढ़कर 2024-25 में 32.02 लाख हेक्टेयर हो गई है। इसी प्रकार, दलहन की बुआई 18.47 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.67 लाख हेक्टेयर हो गई है। मूंग और उड़द के क्षेत्रफल में भी क्रमशः 1.70 लाख हेक्टेयर और 0.50 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। सब्जियों की बात करें तो प्याज, आलू और टमाटर की बुआई भी बढ़ी है। प्याज की बुआई में 2.82 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है—जो 2023-24 में 9.76 लाख हेक्टेयर थी और अब 2024-25 में 12.58 लाख हेक्टेयर हो गई है। आलू का बुआई क्षेत्र 19.56 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.03 लाख हेक्टेयर हो गया है। बैठक में यह भी बताया गया कि टमाटर और प्याज की बुआई वर्तमान में सुचारू रूप से जारी है। देश में मौसम की स्थिति और जलाशयों में पानी का स्तर भी संतोषजनक बताया गया। 161 जलाशयों में उपलब्ध जल संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 117% और पिछले दस वर्षों के औसत की तुलना में 114% है, जो एक सकारात्मक संकेत है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि चावल और गेहूं का भंडार मौजूदा समय में बफर मानकों से कहीं अधिक है। चावल का वर्तमान स्टॉक 135.80 लाख टन के बफर मानक के मुकाबले 389.05 लाख टन है, जबकि गेहूं का स्टॉक 74.60 लाख टन के मानक के मुकाबले 177.08 लाख टन तक पहुँच गया है। इस प्रकार कुल मिलाकर चावल और गेहूं का संयुक्त स्टॉक 210.40 लाख टन के बफर के मुकाबले 566.13 लाख टन है। कृषि मंत्री ने राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किसानों से एमएसपी पर खरीदी गई उपज का भुगतान शीघ्र किया जाए। उन्होंने कहा कि उपज खरीद और भुगतान के बीच के समय अंतर को कम करने के लिए मजबूत और प्रभावी व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके।