ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा 7% बढ़कर 79 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंचा
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, चालू वर्ष में ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों की बुआई में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। 9 मई 2025 तक ग्रीष्मकालीन फसलों का कुल रकबा बढ़कर 78.82 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 71.94 लाख हेक्टेयर था—यानी करीब 7 लाख हेक्टेयर या 7% की वृद्धि। अनुकूल मौसम और सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्धता के चलते किसानों ने फसल बुआई में विशेष रुचि दिखाई। गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में जल संसाधन बेहतर रहने से खेती में कोई बड़ी कठिनाई नहीं आई। जायद सीजन में रकबा बढ़ने से 2024 के पूरे विपणन सत्र में खासकर चावल और मक्का का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। अधिकांश फसलों का क्षेत्रफल न केवल पिछले वर्ष की तुलना में बल्कि सामान्य औसत से भी अधिक रहा है। मुख्य फसलवार विवरण इस प्रकार है: धान: रकबा बढ़कर 32.02 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष 28.57 लाख हेक्टेयर तथा सामान्य औसत 30.80 लाख हेक्टेयर से अधिक है। दलहन: क्षेत्रफल 1.50% बढ़कर 22.70 लाख हेक्टेयर पहुंच गया, जो सामान्य औसत 21.65 लाख हेक्टेयर से भी 1.05 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। मूंग: रकबा 18.44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.45 लाख हेक्टेयर हो गया। उड़द: क्षेत्रफल में 0.5% की वृद्धि हुई। अन्य दलहन: रकबा 18 हजार हेक्टेयर पर स्थिर रहा। मोटे अनाज (श्री अन्न): कुल रकबा 12.95 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 14.59 लाख हेक्टेयर हो गया, यानी 1.6% की वृद्धि। मक्का: रकबा 7.37 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.89 लाख हेक्टेयर। बाजरा: 4.96 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 5.05 लाख हेक्टेयर (1% वृद्धि)। तिलहन: कुल रकबा 9.23 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.51 लाख हेक्टेयर हो गया। मूंगफली: 4.11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.31 लाख हेक्टेयर। तिल: 4.73 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.77 लाख हेक्टेयर। सूरजमुखी: 31 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 36 हजार हेक्टेयर।