मकई बाज़ार में गिरावट: अधिक आपूर्ति से दाम बेदम

स्थानीय बाज़ारों में बढ़ती आवक, कमजोर खरीदी और एथेनॉल व पोल्ट्री सेक्टर की सुस्त मांग पहले से ही किसानों पर भारी दबाव डाल रही है। अब अमेरिका से ड्यूटी-फ्री मक्का आयात की खबर ने बाज़ार को और नीचे धकेल दिया है। पिछले सप्ताह मध्य प्रदेश की कुछ मंडियों में हल्की तेजी जरूर दिखी, लेकिन इसका कोई स्थायी असर नहीं दिखा। जैसे ही दाम थोड़ा बढ़े, व्यापारी और प्रोसेसर पीछे हट गए, जिससे बाज़ार फिर गिर गया। कल छिंदवाड़ा मंडी ₹1,750 प्रति कुंटल पर बंद हुई, जहाँ लगभग 5,000 टन की आवक रही। लेकिन सिर्फ 3,000�4,000 टन की ही नीलामी हो सकी और बाकी स्टॉक अगले दिन के लिए रोक दिया गया। आज भी करीब 5,000 टन आवक की संभावना है, जिससे दाम कमजोर बने रह सकते हैं। इसी बीच नागपुर में भाव ₹1,700, सांगली में ₹1,975, आकोट में ₹1,600, रतलाम में ₹1,735 और इंदौर की तिरुपति स्टार्च प्लांट में ₹1,730 प्रति क्विंटल दर्ज किए गए। इस साल उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 10�15% अधिक रहने का अनुमान है, जिससे बाज़ार पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। न तो कंपनियाँ और न ही बड़े व्यापारी स्टॉक करने में रुचि दिखा रहे हैं, और गोदाम भी लगभग खाली पड़े हैं। कुछ रैक ₹1,750 की दर पर जरूर लोड हो रहे हैं, लेकिन इतनी सीमित गतिविधि से बाज़ार को सहारा मिलने की संभावना कम है। एथेनॉल सेक्टर में सरकार द्वारा 40% चावल उपयोग का नियम लागू होने से मक्का की खपत और धीमी हो गई है, जिससे दामों में निकट भविष्य में सुधार की संभावना घट गई है। पोल्ट्री उद्योग को भी सस्ते विकल्प मिल रहे हैं, इसलिए उनकी खरीदारी सीमित है। बाज़ार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक निर्यात मांग में सुधार नहीं होता या सरकार खरीद शुरू नहीं करती, गिरावट रुकने की संभावना कम है। खास तौर पर यदि दाम वर्तमान स्तर से और ₹60�80 गिरते हैं, तो पूर्वी बंदरगाहों पर निर्यात समानता (एक्सपोर्ट पैरिटी) मजबूत हो सकती है�जो बाज़ार को स्थिर करने वाला एकमात्र कारक बन सकता है।

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