सरसों बाजार रिपोर्ट
सरसों में बीते एक सप्ताह से भारी उतार-चढ़ाव का माहौल देखा गया। ऊंचे भावों पर सरसों में मिलर्स की खरीदी कमजोर पड़ी। सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटने से सरसों तेल की मांग रुकी। मांग रुकने से कीमतों में अस्थाई गिरावट। मिलर्स की सरसों में खरीद कम करना उपरोक्त बड़ा कारण। सटोरिये लगातार तेजी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सरसों का घरेलू बाजार में स्टॉक खपत के मुकाबले कम है। किसान सरसों का भाव 10000 रुपए के पहुंचने के इंतजार में हाथ रोककर कर रहे हैं बिक्री। नई फसल आने में अभी 5-6 माह का समय शेष। आने वाला समय सरसों तेल की खपत बढ़ेगी। यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने से सरकार की निगाहें तेल बाजार की तेजी पर टिकी हुई है जिसके लिए सरकार ने तेलों की तेजी को रोकने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यूपी सरकार ने सभी व्यापारियों से तिलहन स्टॉक की जानकारी मांगी है। यदि सरकार तिलहनों पर स्टॉक सीमा लागू कर भी दे तब भी बाजार अस्थाई गिरावट के बाद चलेगा क्योंकि बाजार में माल नहीं है। सरसों तेल की आने वाले माहों में शानदार खपत रहती है। सरसों तेल का बाजार में कोई विकल्प नहीं। भविष्य मजबूत रहने की प्रबल संभावना है।