मानसून की लेट बारिश से खरीफ की अगैती बिजाई वाली फसल को नुकसान

देश के अनेक राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की लेट वर्षा से अगैती बिजाई वाली उन खरीफ फसलों को भारी नुकसान होने की आशंका है पक कर कटाई के लिए तैयार हो चुकी है या पकने के चरण में पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालीन औसत की तुलना में कुल बारिश की कमी अगस्त के अंत में 9 प्रतिशत पर पहुंच गई थी जो 16 सितम्बर को घटकर 4 प्रतिशत रह गई। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि चालू माह के प्रथम पखवाड़े के दौरान देश में कितनी भारी बारिश हुई। संकट यही समाप्त नहीं हुआ। मौसम विभाग ने 23 सितम्बर तक कई प्रांतों में जोरदार वर्षा का दौर जारी रहने का अनुमान लगाया है जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं हरियाणा जैसे प्रान्त भी शामिल हैं जहां दलहन-तिलहन फसलों का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसके अलावा कर्नाटक सहित दक्षिण भारत के अन्य राज्यों एवं उड़ीसा में भी बारिश होने की संभावना है। ज्ञात हो कि देश में मूंगफली एवं कपास तथा अरंडी के उत्पादन में गुजरात, मूंग में राजस्थान, सोयाबीन एवं उड़द में मध्य प्रदेश तथा अरहर के उत्पादन में महाराष्ट्र-कर्नाटक सबसे आगे है। इन राज्यों में अन्य खरीफ फसलों का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है जिसमें तिल, सूरजमुखी, मोठ, मक्का, ज्वार, बाजरा एवं कपास तथा गन्ना आदि शामिल है। मध्य प्रदेश में उड़द की आवक शीघ्र ही जोर पकड़ने की संभावना है। अक्टूबर से सभी जिंसों की अगैती फसल की कटाई-तैयारी शुरू हो जाती है। केवल अरहर (तुवर) ही इसका अपवाद है जिसकी नई फसल दिसम्बर-जनवरी में आनी शुरू होती है। दलहन-तिलहन फसलों को लेट बारिश से हो रहे नुकसान तथा कम स्टोक को देखते हुए बाजार में फिलहाल विशेष नरमी की संभावना नही है भले ही सरकार हर तरह का प्रयास करती रहे।

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