चने में बन सकती है तेज़ी !! पढ़ें रिपोर्ट

देसी चने की खपत अन्य दालों की अपेक्षा अधिक होती है , जिससे सरकार की निगाह देसी चना उसके बाद तुवर पर लगी रहती है । यही कारण है कि बीच - बीच में सरकारी स्टेटमेंट , माल बेचने का आ जाता है , जबकि उत्पादक एवं वितरक मंडियों को देखते हुए देसी चने का बहुत ज्यादा स्टॉक नहीं है । पिछले कई वर्षों के स्टाक की स्थिति को देखते हुए वर्तमान में बहुत कम स्टाक है , इसके अलावा उत्पादक मंडियों की तुलना में दिल्ली मंडी सबसे नीचे बिक रही है । मध्य प्रदेश , राजस्थान की मंडियों में सूचना 4400 / -4500 रु प्रति कृतल बिक रहा है , लेकिन उन मंडियों में 200 से 400 बोरी दैनिक हो आवक हो रही है राजस्थान की मंडियां 4600/4700 रुपए चल रही है , इन परिस्थितियों में बाजार कभी भी बढ़ सकता है कावली चने का उत्पादन कम होने से उत्पादक मंडियों में माल की कमी बनी हुई है । दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से इंदौर - भोपाल लाइन से निर्यात भी होने की खबर चल रही है । सुनी माल पिछले साल काफी मंदे पहले का आया था जो इस बार नहीं मिल रहा है । उक्रमश देशों से दूसरे खपत वाले देश , माल खरीद रहे हैं , यही कारण है कि महाराष्ट्र का काबली चना नीचे में 7000 रुपए प्रति कुंटल बिकने के बाद 7800 रुपए हो गया है तथा यह जल्दी 8500 रुपए बन सकता है । इसी अनुपात में छोटे और मोटे माल भी तेज हो जाएंगे ।

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