नीचे दाम पर मिलों की मांग से कॉटन में सुधार, दैनिक आवक नहीं

नीचे दाम पर स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण उत्तर भारत के राज्यों में सोमवार को कॉटन की कीमतों में सुधार आया। विदेशी बाजार में बीते शुक्रवार को कॉटन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। आईसीई कॉटन के जुलाई वायदा अनुबंध में 3,256 प्वांइट की भारी गिरावट आकर भाव 103.76 सेंट पर बंद हुए थे, जबकि दिसंबर वायदा अनुबंध में 396 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 98.05 सेंट रह गए थे। मार्च-2023 वायदा अनुबंध में 421 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 93.52 सेंट रह गए थे। आज भी आईसीई के इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में नरमी आई है। उत्तर भारत के कपास उत्पादक अधिकांश क्षेत्रों में मौसम साफ है। बीते सप्ताह घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में भारी गिरावट आई थी, लेकिन एक तो इन राज्यों की स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, दूसरा अभी कपास की नई फसल की आवक बनने में दो से ढ़ाई महीने का समय बचा हुआ है। इसलिए नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से इन राज्यों में कॉटन की कीमतों में सुधार आया है। चालू सीजन में घरेलू बाजार में कॉटन के भाव रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए थे, ​इसके बावजूद भी कपास की बुआई उत्तर भारत के राज्यों में पिछले साल की तुलना में कम हुई है। जानकारों के अनुसार मंडियों में कपास की नई फसल की छिटपुट आवक अगस्त अंत में शुरू हो जायेगी, लेकिन बकाया स्टॉक कम होने के कारण मिलों की मांग भी बनी रहेगी। ऐसे में घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है।

Insert title here