कैसा रहेगा दलहन का बाज़ार?

काबली चना : तेज ही रहेगा काबुली चने में महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के माल का स्टॉक ज्यादा नहीं है। विदेशी माल के कोई आयात पड़ते नहीं है, जिसके चलते महाराष्ट्र के भाव क्वालिटी अनुसार के 7600/8100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच क्वालिटी अनुसार बोलने लगे हैं। इसका व्यापार नीचे में एक पखवाड़े पहले 6800/6900 रुपए प्रति क्विंटल तक हो गए थे। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश की मंडियों में ऊंचे भाव चल रहे हैं, क्योंकि मोटे माल में निर्यातक भी माल खरीद रहे हैं। अतः इन परिस्थितियों में काबली चने का व्यापार तेज ही रहने वाला है। मटर : आयात नहीं होने पर बाजार तेज मटर का उत्पादन अधिक होने से नीचे वाले भाव सभी मंडियों में देख आयी है। अब हरी एवं सफेद दोनों मटर की आवक कम हो गई है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने तथा सरकार की आयात नीति से कोई माल आने वाला नहीं है, इन परिस्थितियों में वर्तमान भाव के मटर में कोई रिस्क नहीं है। गौरतलब है कि मटर का उत्पादन इस बार पांच-छह लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ है, जो रिकॉर्ड माना जा रहा है, इन सब के बावजूद भी घरेलू खपत 13-14 लाख मैट्रिक टन की है, इसे देखकर आयात नहीं होने पर बाजार तेज ही रहेगा। तुवर : माल की कमी से तेजी महाराष्ट्र के अकोला, जलगांव, जालना, खामगांव आदि मंडियों में तुवर की आपूर्ति घट गई है तथा पुराना माल स्टॉक में ज्यादा नहीं है, जिसके चलते यहां क्वालिटी अनुसार माल 6700/6800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहे हैं। लेमन तुवर के आयात पड़ते महंगे लग रहे हैं, जिससे चेन्नई वाले भाव बढ़ा कर बोल रहे हैं, लेकिन यहां खरीद क्षमता नहीं होने से जरूरत के अनुसार ही व्यापार हो रहा है, अतः इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए तेजी तो आएगी, लेकिन थोड़ा ठहर कर अभी 6650/6700 रुपए प्रति क्विंटल के बीच जो लेमन मिल रही है, इसका व्यापार करना चाहिए।

मटर : आयात नहीं होने पर बाजार तेज मटर का उत्पादन अधिक होने से नीचे वाले भाव सभी मंडियों में देख आयी है। अब हरी एवं सफेद दोनों मटर की आवक कम हो गई है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने तथा सरकार की आयात नीति से कोई माल आने वाला नहीं है, इन परिस्थितियों में वर्तमान भाव के मटर में कोई रिस्क नहीं है। गौरतलब है कि मटर का उत्पादन इस बार पांच-छह लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ है, जो रिकॉर्ड माना जा रहा है, इन सब के बावजूद भी घरेलू खपत 13-14 लाख मैट्रिक टन की है, इसे देखकर आयात नहीं होने पर बाजार तेज ही रहेगा। मूंग : आवक बढ़ने से मंदा यूपी, बिहार से गर्मी वाली मूंग की आवक बढ़ने लगी है, जिसके चलते पिछले दिनों की आई तेजी के बाद 100/150 रुपए निकल गए हैं। हालांकि विदेशी माल कोई आने वाला नहीं है तथा पुराने माल पाइपलाइन में निपट चुके हैं, जिससे ज्यादा गिरावट तो नहीं आएगी, लेकिन क्वालिटी अनुसार धोया तथा तलाई के मतलब के माल मिलते रहेंगे, जिससे कुछ दिन तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए। स्टॉक कम होने के बावजूद दाल छिलका एवं धोया की बिक्री अनुकूल नहीं है, जिससे अभी सुस्ती कायम रहेगी। मसूर : इंतजार के बाद तेजी हम मानते हैं कि मुंगावली, गंजबासौदा, सागर, भोपाल लाइन में मसूर की आवक अनुकूल नहीं है तथा दाल मिलें भी खाली चल रही है। इन सब के बावजूद भी 7150/7175 रुपए प्रति क्विंटल मसूर बनने के बाद ग्राहकी का सपोर्ट नहीं मिल रहा है, जिसके चलते 7125/7130 रुपए प्रति क्विंटल भाव आ गए हैं। दाल व मल्का के विक्री अनुकूल नहीं है, जिससे अगले 2-4 दिनों के अंतराल ज्यादा तेजी आने वाली नहीं है। कनाडा ऑस्ट्रेलिया में नई फसल आने में अभी 3 महिने का समय लगेगा, जिससे चालू महीने के बाद ही बाजार बढ़ सकते हैं। उड़द : ग्राहकी अनुकूल नहीं हम मानते हैं कि उड़द का स्टाक रंगुनी माल के अलावा और कोई नहीं है। रंगूनी माल के भी पड़ते महंगा लग रहे हैं। जिससे बाजार आगे चलकर बढ़ना निश्चित है। फिलहाल एक साथ आई तेजी के बाद बढ़े हुए भाव में दाल मिलों की मांग ठंडी पड़ गई है। जिसके चलते 8450 रुपए पर एसक्यू एवं 7650 रुपए पर एफ ए क्यू बिकने के बाद ग्राहकी का समर्थन नहीं मिला, इस वजह से बाजार थोड़ा यहां से दब सकता है। देसी माल आने में अभी 3 महीने से ऊपर का समय बाकी है। उड़द की बिजाई महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के उत्पादक क्षेत्रों में जहां-जहां बरसात हुई है, वहां तेजी से हो रही है, लेकिन आगे की फसल की उत्पादकता मौसम पर निर्भर करेगा।

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