चावल : माल की कमी से तेजी रहेगी

बासमती प्रजाति के सभी तरह के चावल की उपलब्धि कम है, क्योंकि राइस मिलों को धान नहीं मिल रहा है। कुछ राइस मिलों में स्टॉक पड़ा हुआ है, वह अपने निर्यात एवं घरेलू खपत के लिए मिलिंग कर रहे हैं। उधर टोहाना, तरावड़ी, कैथल, अमृतसर, तरनतारन आदी मंडियों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 40 प्रतिशत धान कम है। यही कारण है कि बाजार रुकने का नाम नहीं ले रहा है, साठी धान यूपी-उत्तरांचल की मंडियों में आ रहा है, लेकिन बढ़िया माल बिक चुका है, अब हल्के माल गैर बासमती धान में ही जाएगा, क्योंकि गैर बासमती चावल का निर्यात भी 10-15 ऊंचे भाव में होने लगा है।

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