दलहन बाजार रिपोर्ट !!

देसी चना- धीरे - धीरे बाजार बढ़ेगा देसी चने की आवक राजस्थान , मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र सभी राज्यों की मंडियों में काफी घट गई है । जितना शोर - शराबा मचा कर उत्पादन अधिक बता रहे हैं , उतना नहीं है । केवल सरकार की दहशत है , जो बाजार को बढ़ने नहीं दे रहा है । दाल एवं बेसन में श्रावणी मांग निकलने लगी है तथा आगे लगातार खपत का समय रहने वाला है । रिपोर्ट के अनुसार विदेशी माल की संभावना बिल्कुल नहीं है , इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए 4925 रुपए प्रति क्विंटल का राजस्थानी चना कभी भी 5150/5250 रुपए बन जाएगा काबली चना- बाजार तेज रहेगा काबुली चने में आई तेजी के बाद बाजार थोड़ा सुस्त हो गया है । महाराष्ट्र के माल 7800/8000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रंगत के हिसाब से बिक रहे हैं । इसका व्यापार 10 दिन पहले 8350 रुपए तक हो गया था , नीचे में 6900 रुपए महाराष्ट्र के माल डेढ़ महीने पहले देख आया है । कर्नाटक आंध्र प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में माल की कमी है , इन परिस्थितियों को देखते हुए इस बार काबली चना रुक - रुक कर के तेज ही रहेगा । रिपोर्ट के अनुसार विदेशी माल के पड़ते इस बार नहीं लग रहे हैं , क्योंकि उत्पादन में कमी रही है मूंग- जड़ में मंदा नहीं मूंग की नई फसल प्रांतवार अभी 2 महीने तक आती रहेगी । वास्तविकता यह है कि चारों तरफ बिजाई अधिक हुई थी , कुछ क्षेत्रों में दाने कम बैठे थे , लेकिन हल्के भारी माल दाल मिलों को मिल रहे हैं , यही कारण है कि कानपुर लाइन की 6400/6500 रुपए तथा प्रयागराज लाइन की 6400/6700 रुपए प्रति क्विंटल के बीच जरूरत के अनुसार सभी दाल मिलों को माल मिल रहे हैं । रिपोर्ट के अनुसार स्टॉक का व्यापार घट गया है , क्योंकि पक्के माल की बिक्री उस हिसाब से नहीं हो रही है । इन परिस्थितियों को देखते हुए अभी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए , लेकिन जड़ में मंदा भी नहीं है । तुवर- फिर लिवाली लाभदायक रहेगी तुवर की निकट भविष्य में कोई फसल आने वाली नहीं है । खरीफ सीजन की फसल दिसंबर - जनवरी में आएगी , उससे पहले हाजिर में माल चौतरफा और कमी आ जाएगी । अकोला , जलगांव लाइन की दाल मिलें भी इस बार ज्यादा देशी माल लेकर नहीं चल रही है , रंगूनी माल ही पड़ते में चला रही हैं , चेन्नई में भी माल ज्यादा नहीं है । वहां से आज की तारीख में माल मंगाने पर यहां के भाव से 200 रुपए ऊंचे पड़ते के मिल रहे हैं । की रिपोर्ट के अनुसार यही कारण है कि 7500 रुपए प्रति क्विंटल की लिवाली में अब जोखिम नहीं लग रहा है । यहां से 500 रुपए जल्दी बढ़ जाएगी तथा आने वाले समय में इससे भी अधिक तेजी आ सकती है मसूर- ज्यादा तेजी का व्यापार नहीं मुंदड़ा बंदरगाह पर कनाडा के माल का स्टॉक ज्यादा नहीं है , जिससे देसी मसूर बिल्टी में रुक - रुक कर बढ़ जा रही है । दूसरी ओर मलका एवं छांटी के पड़ते , मसूर बढ़ाकर खरीदने में नहीं लग रहे हैं । यही कारण है कि 7200 रुपए बिल्टी में बिकने के बाद 7050/7060 रुपए भाव रह गए हैं । इससे ऊपर जाने में कनाडा के माल , दाल मिलें चलाने लगेंगी । की रिपोर्ट के अनुसार आगे सितंबर - अक्टूबर शिपमेंट में नए सौदे कनाडा के होने लगेंगे , इन परिस्थितियों में ज्यादा तेजी का व्यापार अभी नहीं करना चाहिए , लेकिन जड़ में मंदा बिल्कुल नहीं है । उड़द - फिर बाजार बढ़ेगा उड़द की फसल भी निकट भविष्य में कोई आने वाली नहीं है । लातुर , उदगीर एवं शिवपुरी लाइन की बिजाई हो चुकी है , यह फसल सितंबर में ही आ पाएगी , उससे पहले 2 महीने खपत के अनुरूप माल नहीं है । पिछले दिनों के आए उड़द की डिलीवरी , मिलों में चल रही है । पाइप लाइन में माल ज्यादा नहीं है , वहीं दाल धोया एवं छिलका की बिक्री सुधरने लगी । की की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में की खपत अधिक रहेगी , इन परिस्थितियों में अभी 200/300 रुपए भाव बढ़ सकते हैं । उड़द एसक्यू 8930 रुपए प्रति क्विंटल चल रही है , यह 9300 रुपए हो सकती है । मटर - घटने की गुंजाइश नहीं खरीद ललितपुर , झांसी लाइन में मटर का स्टॉक प्रचुर मात्रा में पड़ा हुआ है , की रिपोर्ट के अनुसार इस बार बड़ी कंपनियां भी माल मंदे भाव में चुकी है , छोटे कारोबारी भी मटर के नीचे भाव को देखकर काफी माल खरीद लिए हैं , जो अब बिकवाली में आने लगे हैं । यही कारण है कि मटर में थोड़ा सुधार के बाद बाजार ठहर गया है । अभी कुछ दिन तक मटर के स्टाक को देखते हुए तेजी नहीं लग रही है तथा पिछले 2 वर्षों की तेजी को दिमाग से निकाल देना चाहिए , क्योंकि घरेलू उत्पादन अधिक हुआ है , उसके बाद सितंबर अक्टूबर में नया माल ऑस्ट्रेलिया कनाडा में आ जाएगा ।

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