यूएसडीए ने बढ़ाया गेहूं का वैश्विक उत्पादन अनुमान

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) की ताजा रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर गेहूं के उत्पादन अनुमान में बढोतरी की गई है। जिसकी वजह से गेहूं की कीमतों पर सीबोट में दबाव दिखा। यूएसडीए के इन अनुमानों का असर कीमतों पर आगे भी बने रहने की संभावना है। यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2022 -23 में वैश्विक स्तर पर 779.60 मिलियन टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है। जबकि पिछले महीने यूएसडीए ने 771.64 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान लगाया था। साथ ही एजेंसी ने वैश्विक स्तर पर खपत में भी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। जबकि पिछले महीने कीमतों में तेजी की वजह से खपत में कमी की आशंका जताई गई थी। यूएसडीए के मुताबिक वर्ष 2022 -23 के दौरान 788.60 मिलियन टन गेहूं की खपत हो सकती है जबकि पिछले महीने इसके 784.22 मिलियन टन रहने का अनुमान जताया था। वहीं दूसरी ओर भारत में गेहूं के उत्पादन अनुमान को 106 मिलियन टन से घटाकर 103 मिलियन टन कर दिया है। साल के अंत में बच जाने वाले स्टॉक यानी क्लोजिंग स्टॉक के भी 16.49 मिलियन टन से घटकर 11.53 मिलियन टन रहने का एजेंसी ने अनुमान लगाया है। जानकारों के अनुसार वैश्विक स्तर पर उत्पादन अनुमान में अच्छी खासी बढोतरी और यूक्रेन से आपूर्ति मे आगे और सुधार आने की संभावना के बीच गेहूं की वैश्विक कीमतों पर दबाव बढ सकता है। वहीं ठीक इसके विपरीत भारत में उत्पादन और स्टॉक में गिरावट, साथ ही धान के बोआई रकबे में कमी के मद्देनजर घरेलू कीमतों में तेजी जारी रह सकती है। बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय बाजार, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबोट) पर गेहूं की कीमतों में पिछले तीन महीनों में 31 फीसदी की कमी आई है। वहीं घरेलू थोक बाजारों में गेहूं की औसत कीमत 2400 रुपये प्रति क्विंटल के आस पास है। जबकि गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रुपये प्रति क्विंटल है। इस तरह से देखें तो फिलहाल भारतीय गेहूं की कीमत 300 डॉलर प्रति टन के करीब है। वहीं वैश्विक बाजारों में गेहूं की कीमत 400 डॉलर प्रति टन के आस पास है। मतलब दोनों के बीच 100 डॉलर प्रति टन का अंतर है। इसके अतिरिक्त भारत में गेहूं के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क का भी प्रावधान है।

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