गेहू के भाव हो सकते हैं 3000 के पार

केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक कम होने के कारण खुले बाजार बिक्री योजना, ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री पर फैसला नहीं हो सका, जिससे गेहूं की कीमतों में तेजी जारी है। दिल्ली में आज गेहूं के दाम बढ़कर 2820 से 2840 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूत्रों के अनुसार ओएमएसएस के तहत केंद्र सरकार 25 से 30 लाख टन गेहूं नवंबर एवं दिसंबर के लिए मिलों को रिजर्व भाव पर देना चाहती थी। लेकिन केंद्रीय पूल में बकाया स्टॉक कम होने के कारण इस संबंध में हुई अधिकारियों की बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया गया। भारतयी खाद्य निगम, एफसीआई के आंकड़ों के अनुसार निगम के पास पहली अक्टूबर को 227.46 लाख टन गेहूं का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। जोकि पिछले साल की समान अवधि के 468.52 लाख टन की तुलना में कम है। तय मानकों के अनुसार पहली अक्टूबर को केंद्रीय पूल में गेहूं का बकाया स्टॉक 175.20 लाख टन के साथ ही 30 लाख टन रिजर्व को मिलाकर 205.20 लाख टन का स्टॉक होना चाहिए। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में बकाया स्टॉक एफसीआई के आंकड़ों की तुलना में 10 से 11 फीसदी कम है। जानकारों के अनुसार गेहूं की कीमतों में चल रही तेजी को रोकने के लिए रूस से गेहूं का आयात करने पर भी विचार हो रहा है। इसके साथ ही गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने पर भी चर्चा हुई। हालांकि चालू रबी सीजन में गेहूं की बुआई चल रही है, ऐसे में अगर स्टॉक लिमिट लगाई गई तो इसका असर गेहूं की बुआई पर भी पड़ने का डर है। गेहूं की मौजूदा कीमतों को देखते हुए चालू रबी में इसकी बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ेगी। विदेशी बाजार में गेहूं के दाम तेज हैं, ऐसे में आयातित गेहूं भी महंगा है। रूस से आयातित गेहूं भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा भाव में आयेगा। जबकि इस समय घरेलू मंडियों में गेहूं के दाम इसकी तुलना में कम है। इसलिए घरेलू बाजार में गेहूं के दाम अभी तेज ही बने रहने की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2021-22 में देश में गेहूं का उत्पादन 10.68 करोड़ टन का हुआ, जबकि इसके पिछले साल उत्पादन 10.95 करोड़ टन का हुआ था। हालांकि जानकारों का मानना है कि उत्पादन सरकारी अनुमान से कम रहेगा। चालू सीजन में मार्च में अत्याधिक गर्मी से कई राज्यों में प्रति हेक्टेयर पैदावार में कमी आई थी। उत्पादन अनुमान में कमी आने के कारण ही रबी विपणन सीजन 2022-23 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद घटकर 187.92 लाख टन ही हुई थी।जबकि गेहूं की खरीद का आरंभ में लक्ष्य 444 लाख टन का तय किया था जिसे बाद में घटकर 195 लाख टन कर दिया गया।

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