रबी की बुआई का क्षेत्रफल बढ़ने से अच्छी पैदावार की उम्मीद बढ़ी

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में अभी तक लगभग 24 लाख हेक्टेयर से अधिक बुआई हो चुकी है। उन्होंने बताया कि मिट्टी में अनुकूल नमी, बेहतर जल-भंडारण व खाद की समुचित उपलब्धता होने से आगामी 1-2 महीने में रबी की बुआई और तेजी पकड़ेगी। इस स्थिति में रबी की पैदावार अच्छी होने की आशाएं बढ़ीं हैं। कृषि मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पिछले वर्ष नवंबर के आखिरी सप्ताह तक लगभग 335 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई हुई थी। वहीं इस सीजन में अभी तक लगभग 359 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी हैं। इस वर्ष मुख्य गेहूं उत्पादक राज्यों में अधिक बुआई होने से लगभग 153 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है। जबकि पिछले वर्ष इस समय तक केवल 138 लाख हेक्टेयर में ही गेहूं की बुआई हुई थी जो कि गत वर्ष के मुकाबले लगभग 15 लाख हेक्टेयर अधिक है। कृषि मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस समय देश के प्रमुख 143 जलाशयों में लगभग 150 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मौजूद है, जोकि पिछले वर्ष का 106 प्रतिशत तथा सामान्य की तुलना में 119 प्रतिशत है। इन जिलों में मिट्टी की नमी 15 से 21 नवंबर तक पिछले सात वर्षों की औसत नमी से अधिक थी। रवी सीजन में जरूरी खाद की उपलब्धता भी पर्याप्त है। 16 नवंबर तक देश में जहां 57 लाख टन यूरिया की जरूरत थी, वहीं सरकार ने 93 लाख टन की उपलब्धता सुनिश्चित की है। आंकड़ों के मुताबिक 16 नवंबर तक जहां डीएपी की जरूरत लगभग 27 लाख टन थी, वहीं इसकी उपलब्धता लगभग 37 लाख टन थी और बिक्री लगभग 25 लाख टन की हुई थी। अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार यूरिया की मासिक मांग लगभग 36 लाख टन थी, जबकि उपलब्धता केवल 31 लाख टन ही रही और डीएपी की मासिक मांग लगभग 18 लाख टन के मुकाबले उपलब्धता मात्र 15 लाख टन ही रही। पैदावार में आई भारी कमी के कारण रबी मार्केटिंग सीजन 2022- 23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान गेहूं की खरीद लगभग 188 लाख टन ही हो सकी, जो कि पिछले 15 वर्ष के आंकड़ों को देखते हुए कम हैं। हालांकि सरकारी आंकड़े 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) की तुलना में लगभग 3 मिलियन टन की कमी ही दर्शाते हैं। बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि आपूर्ति की समस्या को देखते हुए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद वैश्विक प्रभाव से मुक्त रहते हुए भी भारत में गेहूं की कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है।

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