गेहू - तेजी में बिकवाली करते रहना चाहिए

गेहूं में पिछले एक पखवाड़े के अंतराल 240/245 रुपए प्रति क्विंटल की उल्लेखनीय तेजी आ गई है, जो असामयिक तेजी है। यह आगे चलकर कारोबारियों को फिर दुखदाई हो सकती है। गेहूं का उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी उत्तर भारत के स्टॉकिस्टों एवं दक्षिण भारत की चौतरफा लिवाली आने से पिछले एक पखवाड़े के अंतराल 240/245 रुपए प्रति क्विंटल भाव बढ़ गए हैं। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह तक केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद 257 लाख मैट्रिक टन हो गई थी, जबकि खरीद लक्ष्य 341.50 लाख मैट्रिक टन का है। वास्तविकता यह है कि गेहूं का उत्पादन 1121 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ है, जो गत वर्ष की तुलना में 70 लाख मैट्रिक टन के करीब अधिक है। कारोबारी पिछली बरसात को देखकर उत्पादन कम की अफवाह उड़ा रहे हैं, जबकि उत्पादन पूरा बैठा है। केवल डिस्कलर माल ज्यादा हो गए हैं, इसके बावजूद भी गत जनवरी में 3200 रुपए प्रति क्विंटल लॉरेंस रोड पर मिल पहुंच में व्यापार हो गया था, उसे देखकर देश के सभी राज्यों के कारोबारी स्टाक करने में जुटे हुए हैं। कुछ कारोबारी गेहूं गोदामों में भेज रहे हैं, वहीं कुछ माल गांधीधाम-विशाखापट्टनम के गोदामों में भी जा रहा है। इधर बांग्लादेश के सीमावर्ती मंडियों में भी गेहूं स्टॉक हो रहा है। यही कारण है कि बाजार लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि सीजन की तेजी हमेशा नुकसानदायक होती है। गत वर्ष अप्रैल-मई 2 महीनों में निर्यात काफी अधिक हुआ था, जिससे बाजार तेज हो गए थे, लेकिन इस बार निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बावजूद भी स्टॉकिस्टों की चौतरफा लिवाली से बाजार तेज हो गए हैं। सरकार को शीघ्र ही जमाखोरी पर पहले से ही नियंत्रण करना चाहिए अन्यथा गेहूं अगले 2-4 दिनों के अंतराल ही 2500 रुपए दिल्ली में बिक जाएगा लेकिन तेजी में बिकवाली करना चाहिए।

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