दलहन बाजार रिपोर्ट

देसी चना सरकार द्वारा देसी चने की खरीद प्रचूर मात्रा में की गई है, इसलिए कारोबारियों को यह दहशत है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी मंदे भाव में सरकार खुले बाजार में बेचने लगेगी। इसी वजह से पहले के स्टॉक पड़े माल मंदे में बिकने लगे हैं, लेकिन उत्पादक मंडियों में आवक का प्रेशर जिस तरह घट गया है, उसे देखते हुए बाजार धीरे-धीरे आगे बढ़ता ही रहेगा। काबुली चना काबली चने की आवक उत्पादक मंडियों में घट गई है। दूसरी ओर बढ़िया माल की कमी बनी हुई है। हम मानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत की मंडियों में व्यापार कम चल रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से छिटपुट निर्यात चल रहा है तथा मंडियों में आवक के प्रेशर कम होने तथा यहां भी स्टाक ज्यादा नहीं होने से जड़ में मंदा नहीं लग रहा है। तथा आगे चलकर 8200/8300 रुपए वाला महाराष्ट्र के माल में भरपूर लाभ मिल सकता है। लेकिन तेजी के लिए थोड़ा सब्र रखना चाहिए। तुवर घरेलू तुवर की फसल का दिन प्रति दिन रकवा घटता जा रहा है तथा रंगून में इस बार ऊंचे भाव है, वहीं आयातक पहले ही सरकार की दहशत से माल कम मंगा रहे थे। यही कारण है कि बाजार में शॉर्टेज की स्थिति बनी हुई है तथा दाल मिलों में भी हैंड टू माउथ स्टॉक चल रहा है। निकट भविष्य में कोई फसल आने वाली नहीं है। पलामू, डालटेनगंज, नगर उंटारी लाइन की तुवर लोकल में ही खप रही है। मध्यप्रदेश का माल कटनी की दाल मिलों ने मंदे भाव में खरीद लिया है। जिससे चारों तरफ शॉर्टेज की स्थिति में बाजार कभी भी 9500 रुपए लेमन क्वालिटी का यहां बन सकता है। कल शाम को दिल्ली में 9200 रुपए बिकने के बाद 9250 रुपए तक बोलने लगे थे। मटर मटर का स्टाक, वितरक व खपत वाली मंडियों में भारी मात्रा में हो चुका है। हम मानते हैं कि इस बार भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में से कोई माल आने नहीं है, क्योंकि आयात प्रतिबंध पिछले 3 वर्षों से चल रहा है। इन सब के बावजूद उत्पादन अधिक होने से माल का स्टॉक हर जगह बढ़ा हुआ है तथा सीजन के शुरुआत में कारोबारियों ने माल खरीद लिया है, वह कटने के बाद ही बाजार फिर बढ़ सकेगा। मसूर हम मानते हैं कि मसूर का उत्पादन इस बार अधिक हुआ है, लेकिन कनाडा में ऊंचे भाव होने से बाजार ज्यादा नहीं घटने वाले हैं। पुराना स्टॉक भी इस बार बिल्कुल नहीं था। उधर मुंगावली, गंजबासौदा लाइन में इस बार आवक का दबाव समय से पहले ही घट गया है। कानपुर, गोंडा, बहराइच लाइन में भी मसूर में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम रही है। बिहार की मंडियों में भी पिछले 3 दिनों से आवक कम हो गई है, इन परिस्थितियों में 5950 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास की मसूर के व्यापार में कोई जोखिम नहीं है। उड़द रंगून में उड़द के भाव बढ़ने से आयात पड़ता काफी महंगा हो गया है। भारतीय सभी मंडियों में सरकार की दहशत से स्टॉक निबट चुके हैं तथा कोई भी आयातक रंगून से स्टॉक के लिए माल नहीं मंगा रहा है। जो माल पहले के उतरे हुए थे, वह सब बिक चुके हैं। यही कारण है कि 9040/9050 रुपए प्रति क्विंटल पर उड़द एसक्यू तेज बनी हुई है। उड़द एफएक्यू के भाव 8200 रुपए बोल रहे हैं, लेकिन इन भावों में प्रचुर मात्रा में माल में मांगने पर किसी के पास नहीं है। जिससे आगे तेजी अभी कायम रहेगी। मूंग वर्तमान में पाइप लाइन में माल नहीं होने से मूंग शॉर्टेज में बढ़िया क्वालिटी में चालू सप्ताह के अंतराल 200/300 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी जरूर आ गई है। लेकिन दाल धोया एवं छिलका की बिक्री अनुकूल नहीं है तथा मध्य प्रदेश सरकार के हुए टेंडर के माल अगले दो-चार दिनों में प्रेशर में लगेंगे, इसलिए तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए। मौसम भी चारों तरफ 2 दिन से बढ़िया चल रहा है। इन परिस्थितियों में तेजी का व्यापार रिस्की रहेगा। यहां से खरीदी करना नुकसानदायक रह सकता है।

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