कृषि मौसम समाचार

18-21 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है। किसानों को सलाह दी जाती है कि यदि खेतों में पानी भरने की संभावना हो तो जल निकासी की उचित व्यवस्था बनाए रखें। मटर के पौधों में ख़स्ता फफूंदी के लक्षण होने की संभावना है, इसलिए फ़सल सलाह किसानों को खेत में हेक्साकोनाज़ोल 5 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह देते हैं। अगले पांच दिनों के दौरान ओडिशा में छिटपुट भारी वर्षा के साथ व्यापक वर्षा संभव है। किसानों को सलाह दी जाती है कि सब्जी की नर्सरी को भारी बारिश से बचाने के लिए पॉलिथीन से ढक दें और जल निकासी की व्यवस्था करें। मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में भी भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे दलहन, तिलहन और सब्जियां उगाने वाले क्षेत्रों में उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।

आने वाले 2 दिनों में 19 जुलाई को सौराष्ट्र और कच्छ में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा संभव है। किसानों को सलाह दी जाती है कि जरूरत पड़ने पर बाजरा और तिल की दोबारा बुआई करें। जहां अधिक संतृप्ति के कारण पौधे जल गए हों या मर गए हों, वहां कपास की खाली जगह भरें। यदि पौध तैयार है तो मिर्च, बैंगन और फूलगोभी की रोपाई भी करें। अगले 3 दिनों में तटीय कर्नाटक, तेलंगाना और तटीय आंध्र प्रदेश, केरल में गरज और बिजली के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। किसानों को नमी संरक्षण के लिए कपास की फसल मेड़ एवं नाली विधि से बोने की सलाह दी जाती है।

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