बाजरा - मांग बनी होने से तेज़ी

बाजरे की पिछेती फसल का दबाव बढ़ने से 25/30 रुपए प्रति क्विंटल का करेक्शन आ गया है तथा कुछ और बाजार दब सकता है, लेकिन घटे भाव में आगे चलकर व्यापार भरपूर लाभदायक रहेगा। बाजरा की फसल इटावा, एटा, मैनपुरी, प्रयागराज लाइन में तेजी से आने लगा है। वहां मंडियों से बाजरा 2275/2300 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में हरियाणा पंजाब पहुंच में व्यापार हो रहा है। इस बार एल नीनो के प्रभाव से बरसात कम हुई है। यही कारण है कि बाजरे का उत्पादन बहुत बढ़िया हुआ है। बाजरा गत वर्ष 135-136 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था, जो इस बार 164-165 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है। अभी हाल ही में बाजरा 2200 रुपए नीचे में हरियाणा पंजाब पहुंच में बिक गया है, लेकिन सरकार की खरीद 2500 रुपए प्रति क्विंटल हरियाणा राजस्थान में चलने से बाजार बढ़ गया था। अभी उत्पादक मंडियों में आवक बढ़ने से वहां 2050/2075 रुपए लूज भाव रह गए हैं। वास्तविकता यह है कि बाजरे की खपत पोल्ट्री-कैटल फीड एवं डिस्टलरी प्लांटो की चौतरफा बनी हुई है। दूसरी ओर खाद्यान्नों में इस बार बाजरा ज्यादा खप रहा है। गेहूं के आटे में मिक्सिंग के लिए चौतरफा मांग बनी हुई है, क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में बाजरे की खाद्यान्न में खपत से कई तरह की बीमारियां स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी। इसके अलावा सीरिल्स में भी खपने लगा है। अभी कम से कम 20-25 दिन मंडियों में आवक का दबाव और रहेगा, जिससे मुश्किल से प्रति मंडी 25-50 रुपए की नरमी आ सकती है, लेकिन ज्यादा घटने का इंतजार किए बिना खरीद करनी चाहिए। इस समय हरियाणा पंजाब के अलावा राजस्थान की मंडियों में भी मांग बनी हुई है, इधर यूपी में भी चौतरफा बाजरे की खपत बढ़ गई है। उधर एमपी के साथ-साथ दक्षिण भारत वाले भी बाजरे की खरीद कर रहे हैं तथा पंजाब में लगातार मांग चल रही है। अत: वर्तमान भाव में रिस्क नहीं लग रहा है।

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