हल्दी में और तेजी की संभावना

हल्दी की आई हुई फसल की उत्पादकता काफी कम रह जाने से स्टॉकिस्ट एवं सटोरिए दोनों ही मैदान में आ गए हैं, जिससे एक सप्ताह के अंतराल इसमें 13/14 रुपए प्रति किलो की उल्लेखनीय तेजी आ गई थी। वर्ष 2024 की हल्दी का दबाव दक्षिण भारत के किसी भी मंडी में नहीं बन पा रहा है, पुरानी हल्दी केवल वर्ष 22-23 की ज्यादा बची है, इससे पहले के माल सारे पिसाई में जा चुके हैं। हल्दी का पुराना स्टॉक वायदा में भी डिलीवरी के लिए बहुत कम बचा है तथा आने वाली फसल में विलंब के साथ- साथ काफी कम आई है। जिससे वायदा में डिलीवरी मई महीने की कम होने से एक बार स्टोरिये घटे भाव में माल प्रतिस्पर्धात्मक पकड़ने लगे है। वायदा बाजार में लगातार आगे के सौदे ऊंचे दिखाए जाने से हाजिर में भी बाजार और बढ़ने की उम्मीद है। अतः अब यहां से फिर रिस्क समाप्त हो गया है तथा 10/15 रुपए प्रति किलो की फिर तेजी लग रही है। तेजी के बाद मुनाफावसूली बिकवाली के कारण 2 रुपए किलो का मंदा आएगा लेकिन हर बढे भाव में मुनाफा भी लेते रहना चाहिए।

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