धान में आई गिरावट की क्या है बड़ी वजह

बासमती धान की कीमतों में आई भारी गिरावट किसानों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। पिछले साल बासमती धान की कीमतें 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थीं, लेकिन इस साल ये घटकर 1700 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आ गई हैं। इस गिरावट के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: बंपर उत्पादन: पिछले साल बासमती धान के अच्छे दाम मिलने के कारण इस साल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बासमती धान की बंपर रोपाई की गई है। अधिक फसल के कारण कीमतें गिर गई हैं, क्योंकि बाजार में सप्लाई बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चुनौती: अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कुछ समस्याएं हैं, जो बासमती धान की कीमतों पर असर डाल रही हैं। भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान की तुलना में भारत के बासमती चावल की कीमतें अधिक होने से निर्यात में कठिनाई आ रही है। समय से पहले रोपाई: उत्तर प्रदेश में किसानों ने बासमती धान की रोपाई सामान्य समय से काफी पहले कर दी थी, जिससे फसल जल्दी तैयार हो गई है। इस कारण धान में नमी की मात्रा अधिक हो गई है, और फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। समय से पहले रोपाई के कारण धान की कीमतें कम हो गई हैं। नियामकीय अंतर: हरियाणा और पंजाब में भूजल संकट को देखते हुए धान की खेती पर कड़े नियम हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में अभी तक ऐसी कोई कठोर पाबंदी नहीं है। इससे उत्तर प्रदेश के किसानों को समय से पहले रोपाई करने का अवसर मिल जाता है, जो इस समय बाजार में अतिरिक्त सप्लाई पैदा करता है। निर्यात की स्थिति: सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया है, जबकि पाकिस्तान कम दाम पर बासमती चावल बेच रहा है। इसके कारण भारतीय निर्यातक कम दाम पर बासमती चावल खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को कम दाम मिल रहे हैं।

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